क्या J.N.U एक विद्यालय है या विद्यार्थी के ऐयाशी का अड्डा?

हेल्लो दोस्त,


कल एक बार फिर से JNU शर्मसार हुआ है जहाँ पर 15-2-2018 की रात को कुछ विद्यार्थियो ने 75% उपस्थिति का विरोध किया गया। या विरोध इतना बढ़ा दिया गया कि वहां के शिक्षको को बंधक भी बनाया गया।पिछले 2 - 3 सालो में जिस तरह की चीजें बहार निकल के आयी है ये पुरे देश के लिए एक धब्बा है मैं कुछ आप को JNU में मनाए गए कुछ महोत्सव की जानकारी देना चाहता हूँ।
जैसे
 -अफजल गुरु की बरषि मनाना।

 - महिषा शुर की जयंती मनाना।
- बीफ दावत देना इत्यादि।
क्या इस तरह के program एक शिक्षा संस्था को शोभा देता है?

जहाँ पर देश के उत्तम विश्वविद्यालय में जैसे
-बनारस विश्वविद्यालय में 75% उपास्थि अनिवार्य है।
-जामिया मिल्लिया गस्लामिया में 75%
-Delhi विश्वविद्यालय में 67%
-अली गढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय में 65%

फिर अगर ये नियम JNU में भी लागू किया जाये तो इतना हंगामा क्यों। आज मैं आपको एक जानकारी देता हूं कृपया जरूर ध्यान दे।
-JNU के रखरखाव का खर्चा  2013 - 2014 में 7,58,99,220 रुपये का हुआ ।
-और कुल खर्चा हुआ 2013-2014 में 3,33,69,48,441 रुपये का हुआ
-प्रति विद्यार्थी पर एक साल का ख़र्च आता है 2,93,192 रूपए

ये खर्च है 1 साल का हमारे देश के   JNU विश्वविद्यालय का और जहाँ से हमारे देश के विरोध में नारे लगाते है । मैं ये नही कहता की JNU गलत है लेकिन जिस तरह का माहौल आज की तारीख में है वो मेरे विचार में बहुत ही गलत है इसके बारे में अब सरकार को सोचना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा सकती करना चाहिये।
आपको बतादू की Kanhaiya Kumar जिनका नाम हम अक्सर news में सुनते है। ये महाशय ने 7 साल में अपनी Ph. D. पूरी की है, तो इनपर खर्च हुए पैसो का हिसाब आप खुद ही लगा ले।

इस वजह से इस विश्विद्यालय में जो कुछ भी हो रहा है उसे रोका जाए क्योंकि ये देश की जानता का पैसा है और जो लोग बहुत मेहनत से कमाते है।

कृपया अगर आप मेरी बात से सहमत है तो कृपया इसे share, like and comment जरूर करे।

धंन्यावाद

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